सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024

सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024:- परीक्षा में पेपर लीक(नकल) को लेकर है। यह विधेयक 5 फरवरी 2024, को लोकसभा में केन्द्रीय राज्य मंत्री ‘डॉ. जितेंद्र सिंह’ ने प्रस्तुत किया था। आइये इसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। इस विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है। इस विधेयक की धारा 2(11) के अंतर्गत UPSC (संघ लोक सेवा आयोग), SSC (कर्मचारी चयन आयोग), RRB (रेलवे भर्ती बोर्ड), IBPS (बैंकिंग कार्मिक कर्मचारी संस्थान) आदि भर्ती परीक्षाओं और NET(राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा), JEE (संयुक्त प्रवेश परीक्षा), CUET (सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा) और केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग/कर्मचारियो -भर्ती आदि जैसी प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक, उत्तर कुंजी लीक, या परीक्षा केंद्रों पर गड़बड़ी को रोकना है। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार इसमें नए प्राधिकरण भी जोड़ सकती है।इसके लिए सरकार को एक अधिसूचना जारी करनी होगी। मंत्री जी के अनुसार ‘इस विधेयक के लागू होने से परीक्षाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता होगी। यह विधेयक (बिल) 6 फरवरी, को लोकसभा से और 9 फरवरी, 2024, को राज्यसभा से भी पारित से भी पारित हो गया। अब इसे अधिनियम (एक्ट) बनने के लिए राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार है।

इस विधेयक की धारा-3 में परीक्षा में अनुचित साधनों के रूप में 15 कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है। जो निम्नवत है।-

(1). प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी या उसके किसी भाग का लीक होना,

(2). प्रश्न पेपर या उत्तर कुंजी को लीक करने के लिए दूसरों के साथ मिली भगत में भाग लेना

(3). बिना प्राधिकार के प्रश्नपत्र और OMR शीट को कब्जे में लेना,

(4). सार्वजनिक परीक्षा के दौरान किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा एक या अधिक प्रश्नों का समाधान प्रदान करना,

(5). सार्वजनिक परीक्षा में अनाधिकृत रूप से उम्मीदवार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से सहायता करना,

(6). OMR शीट सहित उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़,

(7). बिना किसी अधिकार के किसी वास्तविक त्रुटि को सुधारने के अलावा मूल्यांकन में बदलाव करना,

(8). केंद्र सरकार द्वारा स्थापित मानदंडों या मानकों का जानबूझकर उल्लंघन विभाग सार्वजनिक परीक्षा स्वयं या अपने माध्यम से किसी एजेंसी से आयोजित कराए,

(9). उम्मीदवारों या किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को सार्वजनिक परीक्षाओं में अंतिम शॉर्टलिस्टिंग से संबंधित किसी भी आवश्यक दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ करना,

(10). सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने में अनुचित साधनों की सुविधा के लिए सुरक्षा उपायों का जानबूझकर उल्लंघन करना,

(11). कंप्यूटर प्रणाली, कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन के साथ छेड़छाड़ करना,

(12). परीक्षाओं में बैठने की व्यवस्था, तारीखों के आवंटन, पाली आदि में हेर-फेर का होना,

(13). सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण या सेवा प्रदाता से सबंधित सरकार की कोई अधिकृत एजेंसी के किसी व्यक्ति को जान की धमकी देना या गलत तरीके से व्यक्तियों को रोकना,

(14). धोखा देने या आर्थिक लाभ के लिए फर्जी वेबसाइट बनाना, और

(15). धोखा देने या आर्थिक लाभ के लिए फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र या प्रस्ताव जारी करना।

सजा

इस विधेयक की धारा- 9 में धारा- 3 में दिए गए सभी अपराधो को संज्ञेय( बिना वारंट के गिरफ्तारी), गैर-जमानती और गैर समझौता योग्य माना गया है। सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग करते पकड़े जाने पर दी जाने वाली सजा निम्नवत है।-

धारा-10

(1). कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने पर इस अधिनियम के तहत कम से कम तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी लेकिन जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। यदि जुर्माना अदा न करने पर कारावास की अतिरिक्त सजा होगी।

(2). कंप्यूटर रिसोर्स, या अन्य प्रकार की कोई छेड़छाड़ या हेर-फेर करता कोई सेवा प्रदाता फर्म पकड़ा जाता है, तो सेवा प्रदाता फर्म (exam conduction agency) भी दंड का भागी होगा। उसको एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और अन्य खर्च l ऐसे सेवा प्रदाता फर्म को सार्वजनिक परीक्षा के संचालन के लिए चार वर्ष की अवधि के लिए वर्जित(ban) कर दिया जाएगा।

(3). यदि जांच के दौरान यह साबित हो जाए कि यह कृत्य(crime) किसी सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्ति(in-charge), निदेशक(director), वरिष्ठ प्रबंधन(Senior Management) की सहमति या मिलीभगत से किया गया है। ऐसी स्थिति में उसे कारावास की सज़ा जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी लेकिन जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। और साथ ही एक करोड़ रुपये का जुर्माना, जुर्माने को भुगतान न करने की स्थिति में, अतिरिक्त कारावास की सजा दी जायेगी।

(4). इस धारा में निहित कोई भी बात ऐसे किसी भी व्यक्ति को उत्तरदायी नहीं बनाएगी, जो यह साबित कर दे की यह अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था और उसने इसे रोकने के उचित प्रयास किए थे।

धारा- 11

(1). यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जिसमें परीक्षा प्राधिकारी भी शामिल है या सेवा प्रदाता या कोई अन्य संस्था संगठित अपराध करती है, तो कम से कम पांच वर्ष की कारावास से दंडित किया जा सकता है, तथा इसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो एक करोड़ रुपये से कम नहीं होगा। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

(2). यदि कोई संस्था संगठित अपराध करने में शामिल है, तो उसकी संपत्ति कुर्की और जब्ती और आनुपातिक लागत के अधीन किया जाएगा उससे परीक्षा शुल्क भी वसूला जाएगा।

उपर्युक्त सभी सजा के प्रावधान भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार लगाये जाएंगे।बशर्ते कि जब तक भारतीय न्याय संहिता, 2023 लागू न हो जाए उक्त अधिनियम के स्थान पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधान लागू होंगे।

हमने अपनी इस पोस्ट में इस विधेयक से संबंधित सभी मुख्य बिंदुओ को बताया है। इस विधेयक के अधिनियम(एक्ट) बनने के इंतजार है, अगर यह विधेयक अधिनियम बनने के बाद धरातल पर अच्छे(सख्ती) से लागू होगा, तो परीक्षाओं में नकल कम होने से महनती युवाओं को अपना हक मिलेगा। क्योंकि पिछले कुछ सालों में 16 राज्यों में 48 मामले ‘पेपर लीक’ के सामने आए है। जिसमे लगभग 1 लाख से अधिक पद परीक्षा रद्द होने से अभी भी खाली है। इस विधेयक में उम्मीदवारों के लिए कोई कार्यवाही या सजा का प्रावधान नहीं है। उम्मीदवारों को परीक्षा प्राधिकरण के मौजूदा प्रशासनिक प्रावधानों के अन्तर्गत रखा गया है। भारत सरकार यह निर्णय आपको कैसा लगा। कृप्या हमे नीचे कमेंट बॉक्स में बताइए।

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